नागपुर, महाराष्ट्र:”हर अंत एक नई शुरुआत है” — इस कथन को अपने जीवन में सार्थक कर दिखाया है श्रीमती नीना विजय गाडगे ने, जो आज न सिर्फ एक सफल योग शिक्षक हैं, बल्कि मेडिटेशन स्पेशलिस्ट के रूप में भी पहचानी जाती हैं।
ज़िम्मेदारियों से भरे जीवन में कई बार उन्हें अपने सपनों को बीच में छोड़ना पड़ा। मायके और ससुराल की दोहरी जिम्मेदारियों ने उन्हें थका दिया, और एक मोड़ पर वे डिप्रेशन में चली गईं। डॉक्टर की सलाह पर उन्होंने प्राणायाम शुरू किया और कुछ ही महीनों तक योग क्लासेस अटेंड की। यहीं से जीवन ने एक नया मोड़ लिया। उनकी योग टीचर ने उन्हें सलाह दी कि वे योग में एडमिशन लें और असिस्टेंट बनें।
इस प्रेरणा से उन्होंने कवि कुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय में पी.जी. डिप्लोमा में दाखिला लिया। हालाँकि पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण वे एक भी दिन कॉलेज नहीं जा पाईं। परीक्षा के 15 दिन पहले जब टाइम टेबल आया, तो उन्होंने रोते हुए कहा, “मैं सिर्फ़ ज़िम्मेदारियाँ निभा सकती हूँ, कुछ बन नहीं सकती।”
लेकिन उनकी बेटी वैष्णवी गाडगे, जो खुद एक मेरिट स्टूडेंट है, उनकी शक्ति बनी। उसने अपनी माँ को पढ़ाया, मोटिवेट किया और दिन-रात तैयारी करवाई। आधा पेट खाना देकर उन्हें जागृत रखा ताकि पढ़ाई कर सकें। नीना जी कहती हैं, “माँ-बाप बच्चों को बनाते हैं, लेकिन मेरी बेटी ने अपनी माँ का करियर बना दिया।”
उनके पति विजय गाडगे जी ने हर मोड़ पर उनका साथ दिया, आलोचनाओं को नज़रअंदाज़ कर वे आगे बढ़ीं और आज वे एक मिसाल हैं।
आज वे NEENA YOGA & MEDITATION CENTER, उत्त्थान नगर, गोरेवाड़ा, नागपुर में सफलता से चला रही हैं जहाँ कई विद्यार्थी नियमित रूप से लाभ ले रहे हैं। उनके कार्यों की सराहना करते हुए उन्हें 23 जुलाई को पुणे में महाराष्ट्र रत्न पुरस्कार और दिल्ली में भारत गौरव सम्मान से नवाजा गया है।
उनकी कहानी इस बात का प्रतीक है कि अगर संकल्प हो, तो हर महिला अपने सपनों को साकार कर सकती है – उम्र, जिम्मेदारियाँ और आलोचनाएं कभी रोड़ा नहीं बनतीं।
ज़िम्मेदारियों से सफलता तक – श्रीमती नीना विजय गाडगे की प्रेरणादायक यात्रा
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