मुंबई के पंडित दीनानाथ मंगेशकर सभागृह में जब रोशनी धीमी हुई, तो सबसे पहले शांति उतरी — वह शांति जो आरती से पहले होती है, स्मरण से पहले होती है। ‘दिदी आनी मी’ सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह स्वर और स्मृति से सजे हुए उस घर की वापसी थी, जिसका नाम है — लता मंगेशकर। इसी भावनाओं से भरे वातावरण में पंडित ह्रदयनाथ मंगेशकर ने अपने जीवन के 89वें वर्ष में प्रवेश किया — वही ह्रदयनाथ जी, जो आज भी अपनी बहन को आदर से “दिदी” कहकर याद करते हैं।
मंच पर मंगेशकर परिवार की उपस्थिति स्वयं विरासत की प्रतीक थी — पंडित ह्रदयनाथ मंगेशकर, भारती मंगेशकर, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आदिनाथ मंगेशकर। इनके साथ माननीय अशिष शेलार, प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ. अनिल काकोडकर, अक्कलकोट राजघराने के स्वामी जंजमेयराजे विजयसिंहराजे भोसले महाराज, सारस्वत बैंक के सीएमडी गौतम ठाकुर तथा कलाकार रूपकुमार और सोनाली राठौड़ भी इस संध्या के साक्षी बने।
जब पंडित ह्रदयनाथ जी ने मंच संभाला, तो उनके शब्द प्रार्थना की तरह लगे। उन्होंने कहा — “हम सबके लिए दिदी सेनापति थीं। हम तो बस उनके सैनिक हैं। उन्होंने जो राह दिखाई, हम केवल उसी पर चल रहे हैं। उनकी अनुशासन, उनकी मर्यादा और संगीत के प्रति उनका समर्पण आज भी मेरा मार्गदर्शन करता है।” पूरा सभागार उनकी भावनाओं के साथ स्थिर हो गया।
माननीय अशिष शेलार ने लता दीदी की बुद्धिमत्ता और गहराई को याद करते हुए बताया कि प्रभुकुंज में फोटोग्राफर मोहन बाणे की पुस्तक के विमोचन के समय उन्होंने क्रिकेट पर ऐसी सटीक समझ के साथ बात की कि सब दंग रह गए। और कैसे इसी सभागार में उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के साथ संगीतकारों और भारतीय संगीत इतिहास पर ऐसा गहन संवाद किया कि समय भी ठहरता-सा लगने लगा। उन्होंने कहा — “उनकी आवाज़ अमर थी, लेकिन उनका मस्तिष्क भी उतना ही अद्वितीय था।”
इसी दौरान अक्कलकोट के स्वामी जंजमेयराजे विजयसिंहराजे भोसले महाराज ने विनम्रता से कहा —“आज यहां उपस्थित होना मेरे लिए आशीर्वाद के समान है। मंगेशकर जैसे महान परिवार का स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त करना मेरे लिए सम्मान है।”उनके यह शब्द आशीर्वाद नहीं, विनम्रता से झुका हुआ मस्तक थे।
इसके बाद स्मृति से संकल्प की ओर बढ़ते हुए मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृति प्रतिष्ठान ने घोषणा की। बताया गया कि यह ट्रस्ट वर्ष 1988 में मंगेशकर परिवार द्वारा स्थापित किया गया था, जिसका उद्देश्य हर वर्ष 24 अप्रैल को मास्टर दीनानाथ जी की पुण्यतिथि पर स्मृति समारोह आयोजित करना है। पिछले 36 वर्षों से यह परंपरा बिना रुके निभाई जा रही है, और अब तक 225 से अधिक विभूतियों को सम्मानित किया जा चुका है।
सन् 2022 से इस प्रतिष्ठान द्वारा ‘लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार’ भी प्रदान किया जा रहा है — जिसके अब तक के प्राप्तकर्ता हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आशा भोसले, अमिताभ बच्चन और कुमाfर मंगलम बिड़ला।
ट्रस्टी रविंद्र जोशी ने घोषणा की कि हर वर्ष 28 सितंबर — लता दीदी का जन्मदिन — पुणे में आयोजित होने वाले इस विशेष संगीत समारोह को सदैव जारी रखने के लिए एक स्थायी निधि (Corpus Fund) बनाई जा रही है। इस निधि से होने वाली आय केवल इस वार्षिक स्मृति कार्यक्रम के लिए उपयोग की जाएगी। इस समिति में पंडित ह्रदयनाथ मंगेशकर, भारती मंगेशकर, उषा मंगेशकर, आदिनाथ मंगेशकर, स्वामी जंजमेयराजे विजयसिंहराजे भोसले महाराज, रविंद्र जोशी,a dm शिरीष रैरीकर और निष्कल लताड़ शामिल रहेंगे। इस निधि के प्रारंभ हेतु पंडित ह्रदयनाथ मंगेशकर ने स्वयं ₹25 लाख का योगदान घोषित किया।
यह प्रतिष्ठान पुणे के चैरिटी कमिश्नर कार्यालय में पंजीकृत है तथा आयकर विभाग द्वारा अनुमोदित है, जिससे दी गई दानराशि पर आयकर में छूट का लाभ मिलता है।
संध्या का समापन तालियों से नहीं, बल्कि भीगी आंखों, जुड़ी हथेलियों और मौन श्रद्धा से हुआ। कुछ आवाज़ें समाप्त नहीं होतीं — वे हवा बनकर हमारे साथ रहती हैं, संगीत रुकने के बाद भी ।


दिदी आनी मी – संगीत, स्मृति और सम्मान की मधुर संध्या, जहां पंडित ह्रदयनाथ मंगेशकर ने अपने 89वें वर्ष की शुरुआत पर भारत रत्न लता मंगेशकर के प्रति प्रेम और कृतज्ञता को प्रणाम किया
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